Additional information
Writer | Swami Apurvananda |
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Publications | Ramakrishna Math, Nagpur |
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आचार्य शंकर अद्वैत-वेदान्त के प्रतिष्ठाता तथा संन्यासी-सम्प्रदाय के गुरु माने जाते हैं। उनकी प्रतिभा अपूर्व थी, उनकी साधना अलौकिक थी। और हम कह सकते हैं कि अपनी तेजस्विता तथा दिव्यज्ञान के फलस्वरूप ही उन्होंने हिन्दू धर्म को ह्रास से बचा लिया था। आचार्य शंकर केवल अद्वैतवादी ही नहीं थे वरन् वे द्वैत तथा विशिष्टाद्वैत को भी मान्यता देते थे। असल में इन्हें वे अद्वैतवाद तक पहुँचने की सीढ़ी मानते थे। ईश्वरानुराग तथा भगवद्भक्ति उनमें प्रगाढ़ थी।
Writer | Swami Apurvananda |
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Publications | Ramakrishna Math, Nagpur |